Homepage » Hindi » सूक्ष्मजीव सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी, हिंदी सूक्ष्मजैविकी कीटाणु-विज्ञान जीके | इंडियाज्वाइनिंगPost Views: 1236

सूक्ष्मजीवों का सामान्य अध्ययन एवं सामान्य ज्ञान: उन पाठकों के लिए यह एक सरल लेख है जो सूक्ष्मजीवों के अदृश्य संसार की सामान्य जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। सूक्ष्म जीव विज्ञान क्या है? सूक्ष्मजीवों के मुख्य वर्ग कौन कौन से हैं? दही में कौन सा विटामिन या जीवाणु पाया जाता है? सूक्ष्म जीव विज्ञान के पिता कौन है? यदि आप भी इन सब सवालों के उत्तर आसान भाषा में जानना चाहतें हैं तो आप सही पेज पर हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले और सामान्य विद्यालयी छात्रों के लिये भी यह पेज अच्छी पठन-सामग्री उपलब्ध कराता है। रेलवे,यूपीएससी,एसएससी,बैंक,क्लर्क आदि आगामी परीक्षाओं में सूक्ष्मजीवों के सामान्य ज्ञान से संबंधित पूछे जा सकने प्रश्नों का संकलन यहां किया गया है।

सूक्ष्मजीव सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी, हिंदी सूक्ष्मजैविकी कीटाणु-विज्ञान जीके

सूक्ष्मजीव : परिभाषा, आकार, प्रकार, और उनसे होने वाली बीमारियां: जैसा कि नाम ही से विदित है कि सूक्ष्मजीव अत्यंत छोटे जीव होते हैं। आकार में ये इतने छोटे होते हैं कि नग्न आंखों से इन्हें नहीं देखा जा सकता। इन्हें देखने के लिए माइक्रोस्कोप यानि सूक्ष्मदर्शी की आवश्यकता होती है। सूक्ष्मजीव प्रकृति में विभिन्न आकारों और प्रकारों में व्यापक रूप से मौजूद हैं। वे एककोशिकीय, बहु-कोशिकीय या असंख्य कोशिकाओं के समूह हो सकते हैं। सूक्ष्मजीवों को छह प्रमुख प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है: विषाणु, जीवाणु (बैक्टीरिया), कवक, प्रोटोजोआ, हेल्मिन्थ, और प्रियन। यह लेख विभिन्न प्रकार के कीटाणुओं की परिभाषा, प्रकार, आकार और उनसे होने वाली बीमारियों को सूचीबद्ध करता है। यह आलेख माइक्रोबायोलॉजी यानि कीटाणु-विज्ञान के सामान्य अध्ययन के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है।

वायरस अथवा विषाणु

विवरण: मौटे तौर पर विषाणु प्रोटीन की झिल्ली से घिरे न्यूक्लिक एसिड के पैकेट होते हैं। कभी-कभी वसायुक्त पदार्थ से भी घिरे होते हैं जिन्हें “लिपिड” कहा जाता है। विषाणु अथवा वायरस परजीवी होते हैं जो स्वयं के अस्तित्व के लिए किसी अन्य जीव पर निर्भर होते हैं। यह प्रजनन में असमर्थ होते हैं। वायरस किसी जीव की जीवित कोशिका में घुसकर, उसके कोशिकाद्रव्य का इस्तेमाल करके उस खोखला कर देता है, और स्वयं की अनगिनत प्रतिलिपियां बनाता जाता है। वायरस की ये सभी प्रतिलिपियां जीव की अन्य जीवित कोशिकाओं के साथ भी यही करती हैं। इस तरह से वायरस लाखों और अरबों की संख्या में खुद को संक्रमित जीव के शरीर में फैलाता जाता है। जब यह संक्रमण जीव की प्रतिरक्षा प्रणाली के काबू से बाहर हो जाता है तो वह गंभीर रूप से बीमार हो जाता है। संक्रमण इतना अधिक भी फैल सकता है कि जीव की मृत्यु हो जाए।

आकार और प्रकार: वायरस आकार में बेहद छोटे रोगाणु हैं। ये इतने छोटे होते हैं कि सूक्ष्मदर्शी से भी नहीं देखे जा सकते। एक पिनहेड पर अरबों वायरस फिट हो सकते हैं! लगभग 20 से 400 नैनो-मीटर व्यास में वे किसी भी आकार के हो सकते हैं। वे बेतरतीब ढंग से, कुछ रॉड के आकार के होते हैं; अन्य गोल या बहु-पक्षीय; या कुछ बेलनाकार पूंछ वाले हो सकते हैं।

रोग: विषाणु सर्दी-जुकाम, खसरा, चिकन पॉक्स, दाद, और इन्फ्लूएंजा सहित रोगों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए जिम्मेदार हैं। वे कई उभरते संक्रामक रोगों का कारण बनते हैं, जैसे: एड्स, इबोला, कोविड, जीका आदि।

जीवाणु (बैक्टीरिया)

विवरण: बैक्टीरिया अति प्राचीन सूक्ष्मजीव हैं। यहां तक ​​कि वे 3 बिलियन साल से भी अधिक पुराने जीवाश्मों में मौजूद पाये गये हैं। बैक्टीरिया एकल-कोशिका वाले जीव होते हैं। उन्हें कम शक्ति वाले माइक्रोस्कोप के माध्यम से देखा जा सकता है। उनमें से अधिकांश में डीएनए का एक गोलाकार अणु होता है। बैक्टीरिया में गुणसूत्रों का केवल एक सेट होता है। वे दो कोशिकाओं में विभाजित होकर प्रजनन करते हैं। इस प्रक्रिया को द्वियंगी विखण्डन कहा जाता है। बैक्टीरिया अन्य बैक्टीरिया, वायरस, पौधों और यहां तक ​​कि खमीर से भी नई आनुवंशिक सामग्री प्राप्त कर सकते हैं।

आकार और प्रकार: बैक्टीरिया वायरस से 10 से 100 गुना बड़े हो सकते हैं और वायरस से अधिक आत्मनिर्भर होते हैं। वे तीन प्रमुख आकृतियों में मौजूद हैं: (i) गोलाकार, (ii) छड़ की तरह, और (iii) घुमावदार।

रोग: बैक्टीरिया ने एक विस्तृत श्रृंखला में कई अलग-अलग व्यवहार विकसित किए हैं। वे कोशिकाओं का पालनपोषण करना सीख रहे हैं, लकवा-कारक जहर और अन्य विषाक्त पदार्थों को बनाते हैं, और हमारे शरीर की सुरक्षा को भेदते हैं। कभी-कभी इनमें डीएनए के गौण छोटे छल्ले भी होते हैं, जिन्हें प्लास्मिड कहते हैं, जोकि एंटीबायोटिक दवा का प्रतिरोध, प्रतिरक्षा प्रणाली को ध्वस्त करने जैसे विशिष्ट कार्यों में सक्षम होते हैं। बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण स्ट्रेप थ्रोट, टीबी, स्टैफ स्किन इंफेक्शन और यूरिनरी ट्रैक्ट और ब्लडस्ट्रीम इन्फेक्शन जैसी बीमारियां होती हैं।

फफूंदी अथवा कवक

विवरण: कवक एकल कोशिका वाले सूक्ष्मजीव हैं, लेकिन अधिकांश बहु-कोशिकीय होते हैं। वे हवा, मिट्टी, पौधों पर या पानी में भी पाए जा सकते हैं। कवक कई महत्वपूर्ण कार्य करते हैं जैसे मृत जीवों को अपघटित करना, खमीरीकरण आदि। सभी ज्ञात कवक में से लगभग आधे ही हानिकारक प्रवृति के होते हैं।

रोग: फफूंदी अथवा कवकमनुष्यों में कई प्रकार की बीमारियों का कारण बनती है, जैसे एथलीट फुट, दाद और यहां तक कि घातक हिस्टोप्लाज्मोसिस। वे मुख्य रूप से हवा में तैरते हुए बीजाणुओं द्वारा प्रजनन करते हैं। यदि ये बीजाणु त्वचा पर या फेफड़ों में पहुंच जायें तो जीव फफूंद संक्रमण से पीड़ित हो सकता है।

प्रोटोजोआ

विवरण: प्रोटोजोआ एकल कोशिका वाले जीवित रोगाणु हैं। अमीबा और पैरामेशिया इन रोगाणुओं के सबसे परिचित उदाहरण हैं। प्रोटोजोआ तेजी से और लचीले ढंग से आगे बढ़ने में सक्षम हैं क्योंकि उनमें कोशिका भित्ति नहीं होती।

रोग: प्रोटोजोआ आमतौर पर दूषित पानी या भोजन के माध्यम से या यहां तक कि एक संक्रमित आर्थ्रोपोड, जैसे कि मच्छर, के काटने से जीव में प्रवेश करते हैं। वे जीव के शरीर में प्रजनन कर सकते हैं और गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं, जैसे- संक्रमण, मलेरिया और पेचिश आदि।

हेल्मिन्थ

विवरण: परजीवी कीड़े, या हेल्मिन्थ, ऐसे सूक्ष्मजीव हैं जो वर्षों तक किसी जीव के शरीर में रह सकते हैं। हेल्मिन्थ की तीन मुख्य श्रेणियां हैं (i) टैपवॉर्म, (ii) फ्लूक और (iii) राउंडवॉर्म।

आकार और प्रकार: सामान्य सूक्ष्मदर्शी से हेल्मिंथ को देखा जा सकता है। कुछ हेल्मिन्थ काफी बड़े होते हैं जिन्हें नग्न आंखों से देखा जा सकता है।

रोग: हेल्मिन्थ के अंडे भोजन, पानी, मिट्टी, मल, हवा और विभिन्न सतहों को प्रदूषित कर सकते हैं। वे मानव की आंत में प्रजनन करते हैं, लेकिन वे शरीर के अन्य हिस्सों को भी संक्रमित कर सकते हैं। हेल्मिंथ कुछ हल्के रोगों का कारण बनता है, जैसे- स्विमर्स ईच और कुपोषण आदि। हालांकि, वे सिस्टोसोमियासिस जैसी गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकते हैं।

प्रायन अथवा प्रियन (Prion)

विवरण: प्रियन संक्रामक एजेंटों का एक नया खोजा गया वर्ग है। ये प्रोटीन के गुच्छ होते हैं। आप उन्हें प्रोटीनयुक्त संक्रामक कण भी कह सकते हैं। प्रियन असामान्य रूप से मुड़े हुये प्रोटीन कण होते हैं और, जब वे समान सामान्य प्रोटीन के संपर्क में आते हैं, तो उसे भी अपने जैसे प्राणियों में बदल देते हैं। ये किसी भी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को भेद सकते हैं। उन्हें नियंत्रित करना मुश्किल है। उपचार के दौरान वे विभिन्न थेरेपियों जैसे- गर्मी, पराबैंगनी प्रकाश, विकिरण और यहां तक कि बंध्याकरण को भी फेल करने की कोशिश करते हैं।

बीमारियाँ: प्रियन के कारण मनुष्यों में Creutzfeldt-Jakob (पागलपन, कमजोर याद्दाश्त आदि) रोग और मवेशियों में गोजातीय स्पॉन्गिफॉर्म एन्सेफैलोपैथी रोग हो सकता है। वे एक चेन रिएक्शन सेट कर सकते हैं जो अंततः मस्तिष्क की चेतना को पहेलियों में बदल देता है।

सूक्ष्मजीव से संबंधित सामान्य ज्ञान हिंदी डाउनलोड पीडीएफ

यह लेख विशेष रूप से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले और सामान्य विद्यालयी छात्रों के लिये अच्छा मार्गदर्शक है जो सूक्ष्मजीवों के विषय में सामान्य जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। राज्य पीसीएस,स्वास्थ्य विभाग,सीजीएल आदि परीक्षाओं में सूक्ष्मजीवों के सामान्य ज्ञान से संबंधित पूछे जा सकने प्रश्नों का संकलन यहां किया गया है। सूक्ष्मजैविकी के विस्तृत अध्ययन के लिए भारत का अग्रणी संस्थान चंडीगढ में है। वर्ष 1984 में स्‍थापित ‘सूक्ष्‍मजीव प्रौद्योगिकी संस्‍थान’ अर्थात ‘इमटैक’ वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद की 38 राष्‍ट्रीय प्रयोगशालाओं में से एक है।

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