Homepage » Hindi » भारत एवं विश्व की प्रमुख झीलें | प्रतियोगी परीक्षाओं के लिऐ झीलों का सामान्य ज्ञानPost Views: 2112

भारत एवं विश्व की प्रमुख झीलें सामान्य ज्ञान: प्रतियोगी परीक्षाओं के लिऐ भारत एवं विश्व की प्रमुख झीलों का रोचक और राज्‍यवार विवरण। सबसे बड़ी, सबसे गहरी, सबसे लंबी, सबसे स्वच्छ और सबसे प्रदूषित झीलों का विवरण। भारत और संसार की प्रमुख झीलों की सूची। एसएससी, यूपीएससी, बैंक, रेलवे आदि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिऐ भारत एवं विश्व की झीलों का सर्वश्रेष्ठ सामान्य अध्ययन सकंलन।

विश्व की प्रमुख झीलों का रोचक विवरण – सबसे बड़ी, सबसे गहरी, सबसे लंबी, सबसे स्वच्छ और सबसे प्रदूषित झीलें

  • न्यूजीलैंड स्थित नेल्सन लेक्स राष्ट्रीय उद्यान की “ब्लू लेक” अथवा “रोटोमाइरेवनुआ” दुनिया की सबसे साफ झील है। इसका क्षेत्रफल 70 हेक्टेयर, लंबाई 1087 किलोमीटर और औसत गहराई 72 मीटर है।
  • विश्व की सबसे प्रदूषित झील “लेक एरी” उत्तरी अमेरिका में पाँच महान झीलों की चौथी सबसे बड़ी झील (क्षेत्रफल की दृष्टि से) है। इसमें पानी की मात्रा 116 घन मील (480 घन किलोमीटर) है। इसकी लंबाई 799 मील (1286 किलोमीटर) और औसत गहराई 19 मीटर है।
  • क्षेत्रफल की दृष्टि से “कैस्पियन सागर” विश्व की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। इसका क्षेत्रफल 371000 km² और अधिकतम गहराई 1025 मीटर है।
  • “चिल्का” अथवा “चिलिका झील” (ओडिशा) भारत व एशिया की सबसे बड़ी और विश्व की दूसरी सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। इसका क्षेत्रफल 1165 km² और अधिकतम गहराई 4.2 मीटर है।
  • दक्षिण प्रशांत में स्थित न्यू कैलेडोनिया संसार की सबसे बड़ी लैगून और विश्व की सबसे बड़ी नियमित बैरियर रीफ है।
  • विश्व की चौथी सबसे बड़ी झील “अराल सागर” (रूस) सूख गयी है और विलुप्त होने की कगार पर है।
  • क्षेत्रफल की दृष्टि से कनाडा/अमेरिका में फैली “सुपीरियर झील” दुनिया की सबसे बड़ी ताजे पानी की झील है। इसका क्षेत्रफल 31700 वर्ग मील या 82170 वर्ग किलोमीटर है और अधिकतम गहराई 406 मीटर है। 40°F (4°C) तापमान के साथ यह विश्व की सबसे ठंडी झील है।
  • मिशीगन झील विश्व की सबसे गर्म झील है जिसके मस्केगौन स्टेट पार्क (Muskegon State Park) तट का पानी 80°C तक गर्म हो जाता है।
  • द्रव्यमान की दृष्टि से साइबेरिया (रूस) की “बैकाल झील” दुनिया की सबसे पुरानी, सबसे गहरी और सबसे बड़ी ताजे पानी की झील है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह एशिया की सबसे बड़ी झील है। इसमें 5521 घन मील अर्थात् 23013 घन किलोमीटर पानी है। पृथ्वी की सतह पर उपलब्ध ताजा पानी का लगभग 20% भाग इसी में है। इसका क्षेत्रफल 31722 वर्ग किलोमीटर है और अधिकतम गहराई 1642 मीटर है।
  • “वुलर झील” (जम्मू-कश्मीर) भारत और एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है। इसका आकार 30 वर्ग किमी से 260 वर्ग किमी के बीच बदलता रहता है। इसकी अधिकतम गहराई 14 मीटर है।
  • “जयसमंद” दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी और एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है।
  • विश्व की सबसे ऊँची बड़ी झील “टिटिकाका” मानी जाती है दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप में पेरू और बोलिविया के एंडीज पर्वतों पर 3812 मीटर की ऊंचाई पर एंडियन अल्टिप्लानो में है।
  • “गुरुडोंगमार” (सिक्किम) भारत की सर्वाधिक उंचाई (5183 मीटर) पर स्थित झील है। इसका क्षेत्रफल 118 हेक्टेयर है।
  • “वेम्बानाड” (केरल) भारत की सबसे लंबी और केरल की सबसे बड़ी झील है। इसका क्षेत्रफल 2114 km², लंबाई 96.5 किलोमीटर और अधिकतम गहराई 12 मीटर है।
  • रिहन्द बांध से बनी “गोविन्द बल्लभ पंत सागर” (उत्तर प्रदेश) भारत की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है। इसका क्षेत्रफल 2114 km², लंबाई 96.5 किलोमीटर और अधिकतम गहराई 12 मीटर है।
  • “कोलेरु झील” (आंध्र प्रदेश) एशिया की सबसे बड़ी उथली मीठे पानी की झील है। इसका क्षेत्रफल 245 km² और अधिकतम गहराई 2 मीटर है।
  • क्षेत्रफल की दृष्टि से “सांभर” भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है।
  • खारेपन की दृष्टि से वाॅन झील (तुर्की) सबसे खारी (330 ग्राम) है।
  • ‎बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल तट पर पुलीकट झील भारत की दूसरी सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। इसका क्षेत्रफल 450 km² लंबाई 60 किलोमीटर, चौड़ाई 5 से 15 किलोमीटर और अधिकतम गहराई 10 मीटर है। इसमें इरुक्कम, वेनाडु तथा अन्य द्वीप‎ भी हैं। औसत गहराई‎ ‎1 मीटर है।
  • राजस्थान के उदयपुर को भारत की झीलों की नगरी कहा जाता है।

भारत में कितनी प्रकार की झीलें पाई जाती हैं?

भारत में वर्तमान में 1056871 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले वेटलैंड्स ऑफ इंटरनेशनल इंपोर्टेंस (रामसर साइट्स) के रूप में 27 साइटें नामित हैं। भारत में मुख्यतः पांच प्रकार की झीलें पाई जाती हैं जो कि अग्रलिखित हैं।

  1. लैगून झील
  2. गौखुर अथवा विवर्तनिक झील
  3. क्रेटर झील
  4. हिमालयी झील
  5. मानव निर्मित झील

लैगून झील: अनूप अथवा लैगून झील किसी विस्तृत जलस्रोत जैसे समुद्र या महासागर के किनारे पर बनने वाला एक उथला जल क्षेत्र होता है जो किसी पतली स्थल पट्टी या अवरोध द्वारा सागर से अलग हुआ होता है। कई बार नदियों के मुहाने पर समुद्र की धाराओं या पवनों के द्वारा बालू मिट्टी के टीले, पंक, रेत, बजरी आदि के जमाव से जब किसी अवरोध का निर्माण होता है तो सागर तट और अवरोध के मध्य उथला सागरीय जल बन्द हो जाता है तथा लैगून बनता है। साधारणतया लैगून झीलें खारे पानी की होतीं हैं। भारत में लैगून झीलें प्रायद्वीपीय भाग में पाई जाती हैं।

गोखुर झील: मैदानी क्षेत्रों मे नदी की धारा दाएं बाएं बल खाती हुई प्रवाहित होती है। इसके कारण विसर्प का निर्माण होता है जो अंग्रेजी के S आकार में होता है। अपनी प्रौढावस्था में जब नदी अपने विसर्प को त्याग कर सीधा रास्ता पकड़ लेती है तो नदी का अपशिष्ट भाग गोखुर झील कहलाता है। नदी द्वारा निर्मित विसर्पों के अर्धचंद्राकार हिस्सों के मूल धारा से कट जाने और उनमें जल इकठ्ठा हो जाने से ही गोखुर झील का निर्माण होता है। इन्हें छाड़न झील अथवा चापाकार झील भी कहते हैं।

क्रेटर झील: क्रेटर अथवा ज्वालामुखीय झील ऐसी झील को कहा जाता है जो किसी ज्वालामुखी के मुख में पानी भर जाने से बन जाती हो। इसके अतिरिक्त कालांतर में बडे उल्कापात के कारण पृथ्वी में उत्पन्न विशाल गड्ढ़ों में वर्षाजल भरने से उत्पन्न हुई झीलें भी क्रेटर झील का उदाहरण हैं। राजस्थान के बांदा जिले में अवस्थित रामगढ़ क्रेटर इसका उदाहरण है। दिल्ली से बैंगलोर जाने वाली हवाई उड़ानें रामगढ़ क्रेटर के ठीक ऊपर से गुजरती हैं। ज्वालामुखीय झीलें जीवित या मृत ज्वालामुखी दोनों में बन सकती हैं। आम तौर से इनमें जल-संग्रह का मुख्य स्त्रोत वर्षा या हिमपात होता है। इंडोनेशिया में स्थित तोबा झील विश्व की सबसे बड़ी ज्वालामुखीय झील है।

हिमालयी झीलें: ये झीलें हिमालय क्षेत्र में ही पाईं जातीं हैं। मुख्यतः ये झीलें हिमालय की नदियों और ग्लेशियरों के पिघलने से बनती हैं। आमतौर पर सभी हिमालयी झीलें मीठे ताज़े पानी से भरीं होतीं हैं। बडी हिमालयी झीलें बारहमासी नदियों का स्त्रोत भी होती हैं।

मानव-निर्मित झील: जैसा कि नाम से ही विदित है कि यह झीलें मनुष्य द्वारा अपनी विविध आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कृत्रिम रूप से बनाई जाती हैं।

भारत में झीलों का राज्यवार विवरण

यह भारत की झीलों का राज्यवार विवरण और विस्तृत अध्ययन है। भारत के अलग-अलग भागों में झीलों को अनेक दूसरे नामों से भी पुकारा जाता है। उदाहरण के लिये जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में झील को नाग, डल, वाह, सर कह देते हैं। सिक्किम और लद्दाख में झील को त्सो कहते हैं, तमिलनाडु में अय्येरी, केरल में कयल, मिजोरम में दिल, मणिपुर में पट, त्रिपुरा और बंगाल में दीघी, असम में बील कहते हैं। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार, पांच पवित्र झीलें हैं; जिसे सामूहिक रूप से पंच सरोवर कहा जाता है। इन में से चार भारत में हैं, जबकि एक “मानसरोवर” तिब्बत में है। ये पांच पवित्र झीलें निम्नलिखित हैं।

  1. पुष्कर सरोवर, राजस्थान
  2. मानसरोवर, तिब्बत
  3. बिन्दु सरोवर, गुजरात
  4. पंपा सरोवर, कर्नाटक
  5. नारायण सरोवर, गुजरात
उत्तराखण्ड
  • सहस्त्र ताल: टिहरी गढ़वाल के घुत्तु में 1530 मीटर की ऊंचाई पर सहस्त्र ताल कई तालों का समूह है। यह गढ़वाल क्षेत्र की सबसे बड़ी और गहरी झील है।
  • बासुकीताल: टिहरी गढ़वाल के उत्तर पूर्व केदारनाथ के पश्चिम में स्थित लाल पानी वाला यह ताल है 4150 मीटर की ऊंचाई पर है और नीले रंग के कमल के लिए प्रसिद्ध है।
  • रूपकुंड: चमोली जिले के धराली विकासखंड के बेदनी बुग्याल के पास स्थित है। इस कुंड में बहुत सारे नर कंकाल मिले हैं।
  • हेमकुंड: चमोली में स्थित इस झील के किनारे सिक्खों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह ने तपस्या की थी। यह अलकनंदा की सहायक नदी लक्ष्मण गंगा का उद्गम स्थल है और सात पर्वतों से घिरी हुई है।
  • शरवदी ताल ‘गांधी सरोवर’: रुद्रप्रयाग में केदारनाथ मंदिर से 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 1948 में महात्मा गांधी जी की अस्थियां यहीं प्रवाहित की गई थी, इसलिए इसे गांधी सरोवर भी कहते हैं। 2013 में इस झील के टूटने के कारण केदारनाथ में भयंकर तबाही आई थी।
  • द्रोण सागर: उधमसिंह नगर के काशीपुर से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस ताल के पास द्रोण गुरु ने अपने शिष्यों को धनुर्विद्या की शिक्षा दी थी।
  • नैनीताल: 16 से 26 मीटर गहराई और समुद्रतल से 1937 मीटर उंचाई पर इस झील को स्कन्दपुराण में ‘त्रि-ऋषि सरोवर’ कहा गया है। इसके चारों ओर ऊँचे-ऊँचे सात पहाड़ है, जिस में सबसे ऊंचा चाइना पीक या नैना पीक है। इसके उत्तरी भाग को मल्लीताल तथा दक्षिणी भाग को तल्लीताल कहा जाता है। नैनीताल की खोज 1841 में सी.पी. बैरन ने की थी।
  • नौकुचियाताल: अधिकतम 40 मीटर गहराई और 9 कोनों वाली यह ताल उत्तराखण्ड के कुमाऊं क्षेत्र की सबसे गहरी झील है।

जम्मू-कश्मीर
  • वुलर झील: बांडीपोरा ज़िले में भारत की मीठे पानी की सबसे बड़ी झील है। यह झेलम नदी के मार्ग में आती है। इसका आकार 30 वर्ग किमी से 260 वर्ग किमी के बीच बदलता रहता है।
  • मानसबल: श्रीनगर से उत्तर में स्थित इस पर्वतीय झील के किनारे तीन बस्तियाँ हैं – जरोकबल, कोंडाबल और गान्दरबल। 13 मीटर (43 फ़ुट) की अधिकतम गहराई के साथ यह जम्मू-कश्मीर की सबसे गहरी झील मानी जाती है।
  • कृशनसर या कृष्णसर: सोनमर्ग (गान्दरबल) के पास 3710 मीटर पर स्थित यह झील किशनगंगा नदी का स्रोत है।
  • डल झील: श्रीनगर में 18 किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई यह झील तीन दिशाओं से पहाड़ियों से घिरी हुई है। जम्मू-कश्मीर की दूसरी सबसे बड़ी झील है। इसके चार प्रमुख जलाशय हैं गगरीबल, लोकुट डल, बोड डल तथा नागिन। लोकुट डल के मध्य में रूपलंक द्वीप स्थित है तथा बोड डल जलधारा के मध्य में सोनालंक द्वीप स्थित है।
  • पांगोंग त्सो: 4500 मीटर उचांई पर स्थित यह झील 134 किलोमीटर लंबी और अधिकतम 8 किलोमीटर चौड़ी है। इसका एक तिहाई हिस्सा भारत में और शेष दो तिहाई चीन में है। शीतकाल में, नमकीन पानी होने के बावजूद, झील संपूर्ण जम जाती है।

हरियाणा
  • भिंडावास झील: यह हरियाणा की सबसे बडी आर्द्र भूमि है जिसे 1985 में वन्य जीव आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया। उत्तर भारत में प्रवासी पक्षियों का यह बडा आश्रय-स्थल है।
  • हथनीकुंड: यमुनानगर में स्थित जोहड़ हथनीकुंड का निर्माण 1966 में प्रारंभ होकर 1999 में पूरा हुआ था। इसकी कुल लंबाई 360 मीटर है।
  • दमदमा झील: गुरुग्राम में सोहना से 8 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों से घिरी खूबसूरत झील है। दमदमा झील का कुल क्षेत्रफल लगभग 12.14 वर्ग किलोमीटर है।
  • सुल्तानपुर झील: गुरुग्राम से 15 किलोमीटर दूर स्थित है। इस झील पर प्रतिवर्ष 100 से ज्यादा प्रजाति के प्रवासी पक्षी आते है। यहां सबसे ऊंची उड़ान भरने वाले बारहेडीड़गूंजे नामक पक्षी लद्दाख और साइबेरिया से आते हैं। इसका कुल क्षेत्रफल 325.17 एकड़ है।
  • खलीलपुर झील: यह पटौदी तहसील के अंतर्गत आती है और ग्रीष्म ऋतु में अक्सर सूख जाती है। झील का विस्तार 607 हेक्टेयर में फैला हुआ है।
  • बड़खल झील: 206 एकड़ में फैली हरियाणा की प्रमुख मानव निर्मित झील है। इसका निर्माण भूमि के कटाव को रोकने के उद्देश्य से सिंचाई परियोजना के अंतर्गत 1947 में किया गया था। बड़खल झील अरावली पर्वतमाला के किनारे पर स्थित है।
  • सूरजकुंड: फरीदाबाद में अनंगपुर बांध से 2 किलोमीटर दूर है। इसे तोमर वंश के राजा सूरजमल और अनंगपाल द्वितीय द्वारा बनवाया था।
  • कोटला झील: नूहं जिले में स्थित इस झील कुल क्षेत्रफल 20 वर्ग किलोमीटर, लंबाई 5 किलोमीटर तथा चौड़ाई 4 किलोमीटर है। यह नूहं तथा फिरोजपुर झिरका पहाड़ी की श्रृंखला के पूर्व में अवस्थित है। 1838 में इस झील के पानी को संगेल उर्फ उजीना झील की ओर मोड़ने के लिए एक बांध बनाया गया था जिसे बाद में उजीना नामक स्थान तक बढ़ाया गया।
  • कर्ण झील: महाभारत के प्रमुख पात्र दानवीर कर्ण के नाम पर बनी यह झील करनाल में शेरशाह सूरी मार्ग (जीटी रोड) पर स्थित है इसे करनार चक्रवती झील भी कहते हैं। यहीं पर कर्ण ने अपने कवच और कुंडल इंद्रदेव को दान दे दिए थे।
  • सन्निहित सरोवर: गुरुद्वारा छठी पातशाही और श्रीकृष्ण संग्रहालय के समीप कुरुक्षेत्र जिले में स्थित है। महाभारत के वन पर्व में इसका उल्लेख मिलता है। इसके समीप दु:खभजनेश्वर मंदिर,नारायण मंदिर तथा लक्ष्मी नारायण मंदिर स्थित हैं। लक्ष्मी नारायणा मंदिर में दक्षिण भारत की कला का वैभव देखने को मिलता है।
  • ब्रह्म सरोवर: यह एशिया का सबसे बड़ा मानव निर्मित सरोवर है जिसका उल्लेख महाभारत तथा वामनपुराण में भी मिलता है। इसे राजा कुरु ने खुदवाया गया था। इसके पानी में सर्वेश्वर महादेव मंदिर स्थित है जिसका निर्माण बाबा स्वर्णनाथ द्वारा कराया गया था। इसके बीच में पुरुषोत्तमपुरा बाग है जहां एक आरती स्थल और विशालकाय रथ है, जिस पर भगवान श्री कृष्ण अर्जुन के सारथी हैं। पुरुषोत्तमपुरा बाग में कात्यायनी देवी मंदिर तथा प्राचीन मंदिर चंद्र कूप और द्रोपदी कूप हैं। प्राचीन सिद्ध श्री पूर्वमुखी हनुमान मंदिर भी पुरुषोत्तम पुरा भाग में स्थित है।
  • डबचिक झील: पलवल के होडल में स्थित यह झील 22 एकड़ में विस्तृत है है जो कि 1985-86 में सूख भी गई थी।
  • चिल्ली झील: फतेहाबाद में स्थित चिल्ली झील में ही स्वर्ण जयंती हेरीटेज पार्क का निर्माण किया गया है।

हिमाचल प्रदेश
  • नाको झील: किन्नौर जिले के पूह उपमण्डल में हंगरंग घाटी में नाको गांव में समुद्रतल से 3604 मीटर की ऊंचाई पर है। इसका व्यास एक हैक्टेयर है। नाको झील (तिब्बत) की सीमा विभाजक पर्वत श्रृंखला रियो पराजियल (6816 मीटर) की पश्चिमी ढलान पर है। इस उच्च शिखर को भगवान पराजियल का वास भी बताया जाता है।
  • मानतलाई झील: कुल्लू जिले में पिन-पार्वती पैदल मार्ग समुद्रतल से 4160 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इसका व्यास 3 हैक्टेयर है। इस झील से पार्वती नदी का उद्गम होता है।
  • पराशर झील: मण्डी शहर से 40 किमी की दूरी पर महर्षि पराशर के नाम से प्रसिद्ध यह झील समुद्रतल से 2600 मीटर की ऊंचाई पर है। इसमें एक टापू तैरता रहता है जिसे टहला कहते हैं। इस झील के साथ पराशर ऋषि का पैगोडा शैली में बना भव्य मन्दिर है। इसकी परिधि लगभग आधा किमी० अर्थात् एक हैक्टेयर है।
  • मणिमहेश झील: चम्बा से 100 किमी की दूरी पर भरमौर उपमण्डल में समुद्रतल से 4200 मीटर की ऊँचाई पर है। इस झील का अनुमानित व्यास एक कि०मी० है।
  • खजियार झील: चम्बा से 27 किमी दूर डलहौजी उपमण्डल में स्थित है। यहाँ खजीनगर का मन्दिर है। यह समुद्रतल से 1920 मीटर की ऊंचाई पर है। इसके अनुपम सौन्दर्य के कारण खजियार को हिमाचल का मिनी स्विट्जरलैंड भी कहते हैं। इसका क्षेत्रफल 5 हैक्टेयर है।
  • लम डल: समुद्रतल से 3640 मीटर की ऊँचाई पर यह झील भरमौर उपमण्डल में है। यह आठ झीलों का समूह है। इस झील समूह का कुल क्षेत्रफल लगभग 32 हैक्टेयर है। यह झील समूह नाग इल और नाग छतरी डल के नाम से जाना जाता है। इस समूह में लम डल का व्यास 2 किलोमीटर है। यह धौलाधार पर्वत श्रृंखला में पड़ती है।
  • खुण्डी मराल झील: समुद्रतल से 4355 मीटर की ऊंचाई पर चुराह घाटी के खुण्डी मराल चांजू पंचायत में है। यह झील भगवती काली के नाम से विख्यात है और 3 हैक्टेयर क्षेत्र में फैली है।
  • गुडासरू महादेव झील: चुराह में समुद्रतल से लगभग 4280 मीटर की ऊँचाई पर है। इसकी परिधि लगभग एक किमी० अर्थात् दो हैक्टेयर है।
  • कुमरवाह अथवा कमरूनाग: मण्डी शहर से 40 किमी की दूर चच्योट तहसील में समुद्रतल से 3150 मीटर की ऊँचाई पर यह कामरू देवता के नाम से प्रसिद्ध है।
  • चन्द्रताल: यह झील लाहौल और स्पीति जिले के लाहौल संभाग में चन्द्रा नदी के चन्द्रताल में मिलने पर बनती है। लाहौल और स्पीति को जोड़ने वाले कुंजम दर्रे से चन्द्रताल झील 13 किलोमीटर दूर है। बारालाचा उद्गम स्त्रोत से लगभग 30 कि.मी. का सफर तय करने के बाद चन्द्रा नदी समुद्रतल से 4280 मीटर की ऊँचाई पर यह झील बनाती है जिसका व्यास 49 हैक्टेयर है।
  • सूरजताल: बारालाचा से निकलने के बाद भागा नदी सूरजताल झील का निर्माण समुद्रतल से 4800 मीटर की ऊँचाई पर करती है। यह 3 हैक्टेयर में फैली हुई है। यह झील लाहौल में बारालाचा दर्रे से नीचे पर्वतीय तट पर पड़ती है। बारालाचा दर्रा मनाली-लाहौल-लेह-लद्दाख सड़क को जोड़ता है।
  • नीलकंठ झील: लाहौल-स्पीति में मनाली से लगभग 140 किमी की दूरी पर समुद्र तल से 3900 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और 6 मास तक बर्फ में ढकी रहती है।
  • सुखसर झील: मण्डी जिले में रिवालसर कस्बे की चोटियों पर समुद्रतल से 1760 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
  • डल झील, कांगड़ा: धर्मशाला से 11 किमी की दूरी पर धौलाधार पर्वत श्रृंखला में समुद्रतल से 1840 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इसका व्यास 2 हैक्टेयर है।
  • सेरोलसर झील: कुल्लू जिले में जलोड़ी जोत से लगभग 5 कि.मी. की दूरी पर बंजार उपमण्डल में समुद्रतल से 3100 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इस झील की परिधि लगभग 0.5 हैक्टेयर है।
  • करेरी डल: कांगड़ा में धर्मशाला से 28 किमी दूरी समुद्रतल से 2960 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इसका व्यास 3.5 हैक्टेयर है।
  • चन्द्रनाहन झील: यह झील रोहडू उपमण्डल की चांसल नामक घाटी में समुद्रतल से 3960 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह पब्बर नदी का उद्गम स्त्रोत भी है। इस स्थान को चारमाई ताल भी कहते हैं। इस का व्यास एक हैक्टेयर है।
  • तानु जुब्बार झील: शिमला से 68 किमी दूर नारकंडा में समुद्रतल से 2708 मीटर की ऊँचाई पर है। यह झील प्रमुख पर्यटक स्थल हाटू के समीप है।
  • रिवालसर झील: मण्डी जिले की यह झील बौद्ध, हिन्दू और सिक्ख तीन धर्मों की त्रिवेणी के नाम से प्रसिद्ध है और समुद्रतल से 1320 मीटर की ऊँचाई पर 3 हैक्टेयर व्यास में फैली है। यहाँ प्रसिद्ध बौद्ध मेला छेश्च मनाया जाता है। इसको तिब्बती समुदाय में ‘त्सो पद्मा’ के नाम से जाना जाता है। 1685 ई. में गुरु गोबिन्द सिंह रिवालसर झील आए थे।
  • भृगु झील: कुल्लू जिले में वशिष्ठ गांव के समीप रोहतांग के पूर्व में समुद्रतल से 4240 मीटर की ऊँचाई है। मनाली से 13 किमी और गुलाबा गांव से 6 किमी दूर है। इसका ब्यास 3 हैक्टेयर है। यह झील शुक्र के पिता महर्षि भृगु के नाम से प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता कि इस झील में हर वर्ष 20 भादों को देवी-देवता स्नान के लिए आते हैं।
  • दशहरे झील: यह भी मनाली के समीप रोहतांग दर्रे पर समुद्रतल से 4200 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इसका व्यास 4 हैक्टेयर है।
  • नैनसर झील: कुल्लू जिले में ऑऊटर सिराज में भीम द्वारी और श्रीखण्ड पर्वत के बीच स्थित है। इस झील की समुद्रतल से 4000 मीटर की ऊँचाई है।
  • सुन्दरनगर अथवा पण्डोह झील: यह कृत्रिम झील मण्डी जिले में ब्यास नदी पर पण्डोह बांध बनने के कारण अस्तित्व में आई है। ब्यास नदी के जल प्रवाह को नहरों व सुरंगों द्वारा पण्डोह के समीप सलापड़ नामक स्थान पर सतलुज नदी के साथ मिलाया गया है। यह हिमाचल की सबसे छोटी कृत्रिम झील है। इसकी लम्बाई 14 कि० मी० है।
  • रेणुका जी झील: सिरमौर जिले में समुद्रतल से 660 मीटर की ऊंचाई पर नाहन उपमण्डल से 37 कि.मी. की दूरी पर स्थित हिमाचल की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील है। विश्व की प्राकृतिक झीलों की गणना में रेणुका झील तेरहवें स्थान पर है। इसका व्यास लगभग 5 हैक्टेयर है। यह हिमाचल प्रदेश का एकमात्र ऐसा देवस्थल है, जहां देवोत्थान एकादशी (कार्तिक मास) से पांच दिन तक अन्तर्राष्ट्रीय श्री रेणुका जी मेला लगता है।
  • चमेरा झील: यह कृत्रिम झील समुद्रतल से 890 मीटर की ऊँचाई पर चम्बा में रावी नदी पर चमेरा बांध के बनने पर यह अस्तित्व में आई है।
  • पौंग झील अथवा महाराणा प्रताप सागर: यह झील कांगड़ा में समुद्रतल से 430 मीटर की ऊंचाई पर, व्यास नदी पर महाराणा प्रताप (पौंग) बांध बनने के कारण अस्तित्व में आई है। यह 42 किमी लम्बी है। इस कृत्रिम झील का व्यास 21721 हैक्टेयर है।
  • गोविन्द सागर झील: हिमाचल प्रदेश में बिलासपुर जिले में समुद्रतल से 673 मीटर की ऊँचाई पर लगभग 1687 हैक्टेयर भूमि पर फैली हुई यह सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है। यह भाखड़ा बांध निर्माण के कारण अस्तित्व में आई है। इसकी अनुमानित लम्बाई 168 कि.मी. है। इसका नाम सिखों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह जी के नाम पर रखा गया है।

बिहार
  • काँवर झील: बेगूसराय के मंझौल गाँव में 16 वर्ग किलोमीटर में फैली यह एशिया की सबसे बड़ी गोखुर झील है, जिसका निर्माण गंडक नदी के विसर्पण से हुआ है। इस झील में पाई जाने वाली प्रमुख वनस्पति हाइड्रा लेरिसिलाय, पोटोमोगेंटन, वेल्सनेरिया, लेप्लराल्स, निफसा, मिंफोलोड्स, सरपस वेटल्वेरिया आदि हैं। सर्दी के दिनों में साइबेरियाई क्षेत्र के प्रवासी पक्षी आते हैं। प्रमुख पक्षी वैज्ञानिक सलीम अली के अनुसार लगभग 60 प्रजातीय पक्षी मध्य एशिया से सर्दी के दिनों में यहाँ प्रवास के लिए आते हैं। मूल रूप से लगभग 106 प्रजाति के पक्षी यहाँ निवास करते हैं। इसके पास शोध-कार्य के लिए बर्ड बैडिंग स्टेशन की स्थापना की गई है।
  • कुशेश्वर झील: दरभंगा में यह मछली उत्पादन का प्रमुख केंद्र है। 20 वर्ग किलोमीटर से 100 वर्ग किलोमीटर तक इसका आकार बढ़ता-घटता रहता है। इसमें कमला, करेह आदि नदियों जल एकत्रित होता है। यहाँ प्रवासी पक्षी पेलिकन डालमटिया तथा साइबेरियन क्रेन सर्दी के मौसम में प्रवास करते हैं। 1972 ई. में इस झील को पक्षी अभ्यारण्य घोषित किया गया।
  • घोघा झील: कटिहार जिले के मनिहारी क्षेत्र में लगभग 5 वर्ग किलोमीटर में फैली है। इस झील के आसपास कई छोटी-छोटी झीलें स्थित हैं।
  • सिमरी-बख्तियारपुर झील: यह बिहार के सहरसा जिले में स्थित है। जिसका निर्माण कई छोटी-छोटी झीलों के मिलने से हुआ है। इसमें जमुनिया, सरदिया, कुमीबी, गोबरा आदि झीलें प्रमुख हैं।

राजस्थान (मीठे पानी की झीलें)
  • जयसमंद झील या ढेबर झील: राजस्थान की मीठे पानी की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है जिसका निर्माण मेवाड़ के राणा जयसिंह ने गोमती नदी का पानी रोककर (1687-91) कराया। इस झील में छोटे-बडे़ सात टापू हैं जिन पर आदिवासी समुदाय के लोग निवास करते है। जयसंमद झील से उदयपुर जिले को पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इस झील से श्यामपुरा व भट्टा/भाट दो नहरें भी निकाली गई है।
  • राजसमंद झील: मेवाड़ के राजा राजसिंह ने गोमती नदी का पानी रोककर (1662-76) इस झील का निर्माण करवाया। इस झील का उतरी भाग “नौ चौकी” कहलाता है। यहां 25 काले संगमरमर की चट्टानों पर मेवाड़ का पूरा इतिहास संस्कृत में उत्कीर्ण है। इसे राजप्रशस्ति कहते है जो की संसार की सबसे बड़ी प्रशस्ति है। यह अमरकाव्य वंशावली नामक पुस्तक पर आधारित है जिसके लेखक ‘रणछोड़ भट्ट तैलंग’ है। इसके किनारे “घेवर माता” का मन्दिर है।
  • पिछोला झील (उदयपुर): 14 वीं सदी में मीठे पानी की इस झील का निर्माण राणा लाखा के समय पिच्छू नामक एक बंजारे ने अपने बैल की स्मृति में करवाया। पिछौला में बने टापूओं पर ‘जगमन्दिर(लैक पैलेस)’ व ‘जगनिवास(लैक गार्डन पैलेस)’ महल बने हुए है। जग मंदिर का निर्माण महाराणा कर्णसिंह ने सन् 1620 ई. में शुरू करवाया तथा जगत सिंह प्रथम ने 1651 ई. में पूर्ण करवाया। मुगल शासक शाहजहां ने अपने पिता से विद्रोह के समय यहां शरण ली। जगमन्दिर महल में 1857 ई. में राष्ट्रीय आन्दोलन के दौरान महाराणा स्वरूप ने नीमच छावनी से भागकर आए 40 अंग्रेजो को शरण देकर क्रांन्तिकारियों से बचाया। जगनिवास महल का निर्माण महाराणा जगत सिंह द्वितीय ने 1746 ई. में करवाया। इस झील के समीप “गलकी नटणी” का चबुतरा बना हुआ है। इस झील के किनारे “राजमहल/सिटी पैलेस” है। इसका निर्माण उदयसिंह ने करवाया। इतिहासकार फग्र्यूसन ने इन्हें राजस्थान के विण्डसर महलों की संज्ञा दी। सीसारमा व बुझडा नदियां इस झील को जलापूर्ति करती है। राजस्थान में सौर ऊर्जा चलित प्रथम नाव पिछोला झील में चलाई गई। रुडयार्ड किपलिंग ने इसे इटली के वेनिस के समान सुंदर कहा।
  • आनासागर झील: अजमेर शहर के मध्य स्थित इस झील का निर्माण अजयराज के पुत्र अर्णाेराज (पृथ्वीराज चौहान के दादा आनाजी) ने 1137 ई. में करवाया। जयानक ने अपने ग्रन्थ पृथ्वीराज विजय में लिखा है कि “अजमेर को तुर्कों के रक्त से शुद्ध करने के लिए आनासागर झील का निर्माण कराया था’ क्योंकि इस विजय में तुर्कों का अपार खून बहा था। मुगल शासक जहांगीर ने इसके समीप नूरजहां (रूठी रानी) का महल बनवाया। दौलतबाग का निर्माण करवाया जिसे वर्तमान में सुभाष उद्यान कहते है। इस उद्यान में नूरजहां की मां अस्मत बेगम ने गुलाब के इत्र का आविष्कार किया। इसके किनारे जहांगीर ने चश्मा-ए-नूर झरना बनवाया। शाहजहां ने इसी उद्यान में पांच बारहदरी का निर्माण करवाया।
  • नक्की झील: राजस्थान के सिरोही जिले मे आबू पर्वत पर राजस्थान की सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित तथा सबसे गहरी झील है। यह राजस्थान की एक मात्र झील है जो सर्दियों में आंशिक रुप से जम जाती है। इसका निर्माण ज्वालामुखी उद्भेदन से हुआ अर्थात् यह क्रेटर झील है। मान्यता के अनुसार इस झील की खुदाई देवताओं ने अपने नाखुनों से की थी अतः इसे नक्की झील कहा जाता है। इसमें टापू है जिस पर रघुनाथ जी का मन्दिर बना है। इसके अलावा इस झील के एक तरफ मेंढक जैसी चट्टान बनी हुई है जिसे “टाॅड राॅक” कहा जाता है। एक चट्टान की आकृति महिला के समान है जिसे “नन राॅक” कहा जाता है। एक आकृति लड़का-लड़की जैसी है जिसे “कप्पल राॅक” कहा जाता है। इसके अलावा यहाँ हाथी गुफा, चंम्पा गुफा, रामझरोखा, पैरट राॅक आदि स्थल है। यह झील गरासिया जनजाति का आध्यात्मिक केन्द्र है। लोग अपने मृतकों की अस्थियों का विसृजन नक्की झील में करते है। इसके समीप ही “अर्बुजा देवी” का मन्दिर स्थित है। अतः इस पर्वत को आबू पर्वत कहा जाता है।
  • पुष्कर झील: अजमेर से 12 कि.मी. दूर पुष्कर झील का निर्माण ज्वालामुखी उद्भेदन से हुआ है। यह राजस्थान का सबसे पवित्र सरोवर माना जाता है। इसे आदितीर्थ/पांचनातीर्थ/कोंकणतीर्थ/तीर्थो का मामा/तीर्थराज भी कहा जाता है। पुष्कर झील के बारे में मान्यता है कि खुदाई पुष्कर्णा ब्राह्मणों द्वारा कराई गई। किवदन्ती के अनुसार इस झील का निर्माण ब्रह्माजी के हाथ से गिरे तीन कमल के पुष्पों से हुआ जिससे क्रमशः वरीष्ठ पुष्कर, मध्यम पुष्कर, कनिष्ठ पुष्कर का निर्माण हुआ। महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने यहां स्नान किया, महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना की, विश्वामित्र ने यहां तपस्या की और वेदोें का यहां अंतिम रूप से संकलन हुआ। चौथी शताब्दी में कालिदास ने ‘अभिज्ञान शाकुन्तलम्’ इसी स्थान पर रची थी। गुरु गोविन्द सिंह ने यहाँ पर गुरुग्रंथ साहिब का पाठ किया। इतिहासकार कर्नल जेम्स टॉड ने इसकी तुलना तिब्बत की मानसरोवर झील से की। इस झील के चारों ओर अनेक प्राचीन मन्दिर हैं। इनमें ब्रह्माजी का मन्दिर सबसे प्राचीन है जिसका निर्माण 10 वीं शताब्दी में पंडित गोकुलचन्द पारीक ने करवाया। इसी मन्दिर के सामने पहाड़ी पर ब्रह्मा जी की पत्नि ‘सावित्री देवी’ का मन्दिर है। राजस्थान के बाड़मेर जिले में आसोतरा नामक स्थान पर एक अन्य ब्रह्मा मन्दिर भी है। पुष्कर झील के चारों ओर 52 घाट बने हुए है। इन घाटों पर लोग अपने पित्तरों का तर्पण करते है और कार्तिक पूर्णिमा को यहां मेला लगता है। यहां एक महिला घाट भी बना हुआ है जिसे वर्तमान में गांधी घाट कहा जाता है। इसका निर्माण 1912 में मैडम मेरी ने करवाया। गांधी जी की इच्छा पर उनकी अस्थियों का विसृजन पुष्कर झील में भी किया गया था। इनमें जयपुर घाट सबसे बड़ा है। पुष्कर में राजस्थान में दक्षिण भारतीय शैली का सबसे बड़ा मन्दिर श्री रंगजी का मन्दिर भी बना है। पुष्कर के राताड्ढंगा में नाथ पंथ की बैराग शाखा की गद्दी बनी है। पुष्कर के पंचकुण्ड को मृगवन घोषित किया गया है।
  • फतहसागर झील: उदयपुर में स्थित इस मीठे पानी की झील का निर्माण मेवाड के शासक जयसिंह ने 1678 ई. में करवाया। बाद में यह अतिवृष्टि के कारण नष्ट हो गई। तब इसका पुर्निमाण 1889 में महाराजा फतेहसिंह ने करवाया तथा इसकी आधार शिला ड्यूक ऑफ कनाॅट द्वारा रखी गई। इस झील में टापु है जिस पर नेहरू उद्यान और सौर वेधशाला भी बनी है जिसमें बेल्जियम निर्मित टेलिस्कोप की स्थापना सूर्य और उसकी गतिविधियों के अध्ययन के लिए की गई। फतहसागर झील से उदयपुर को पेय जल की आपूर्ति की जाती है। उदयपुर के देवाली गांव में स्थित होने के कारण इसे देवाली तालाब भी कहा जाता है।
  • कोलायत झील: बीकानेर जिले में स्थित इस मीठे पानी की झील के समीप सांख्य दर्शन के प्रणेता कपिल मुनि का आश्रम है। इस आश्रम को “राजस्थान का सुन्दर मरूद्यान” भी कहा जाता है। यह आश्रम एन.एच.62 पर स्थित है। कोलायत झील की उत्पति कपिल मुनि ने अपनी माता की मुक्ति के लिए की। यहीं पर कार्तिक मास की पूर्णिमा (नवम्बर) माह में मेला लगता है। समीप ही एक शिवालय है जिसमें 12 शिवलिंग हैं।
  • सीलीसेढ झील: अलवर में स्थित यह झील ‘राजस्थान का नंदन कानन’ कहलाती है। इसके किनारे अलवर के महाराजा विनयसिंह ने 1845 में अपनी रानी के लिए एक शाही महल (लैक पैलेस) व एक शिकारी लौज का निर्माण करवाया।
  • उदयसागर झील: इसका निर्माण मेवाड के शासक उदयसिंह ने आयड़ नदी के पानी को रोककर करवाया। इस झील से निकलने के बाद आयड़ का नाम बेड़च हो जाता है।
  • फायसागर झील: अजमेर में इसका निर्माण बाण्डी नदी (उत्पाती नदी) के पानी को रोककर करवाया गया। इसे अंग्रेज इंजीनियर फाॅय के निर्देशन में बनाया गया। इसलिए इसे फाॅय सागर कहते है। जलस्तर अधिक हो जाने पर इसका पानी आनासागर में भेज दिया जाता है।
  • बालसमंद झील: जोधपुर-मण्डोर मार्ग पर स्थित इसका निर्माण 1159 में परिहार शासक बालकराव ने करवाया। इस झील के मध्य महाराजा सुरसिंह ने अष्ट खम्भा महल बनाया।
  • गजनेर झील: बीकानेर में स्थित इस झील को पानी के शुद्ध दर्पण की संज्ञा दी गई है।
  • कायलाना झील: जोधपुर में स्थित इस झील का निर्माण सर प्रताप ने करवाया। इसके पास ही माचिया सफारी पार्क स्थित है। यहीं पर कागा की छतरीयां है।
  • मोती झील: भरतपुर में स्थित इस झील को रूपारेल के पानी को रोक कर बनाया गया है। इसे भरतपुर की जीवन रेखा भी कहा जाता है। इस झील से नील हरित शैवाल प्राप्त होता है जिससे नाइट्रोजन युक्त खाद बनती है।

राजस्थान (खारे पानी की झीलें)
  • साॅंभर झील: जयपुर की फुलेरा तहसील में स्थित यह झील दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पश्चिम की ओर लगभग 32 किमी लंबी तथा 3 से 12 किमी तक चौड़ी है। बिजोलिया शिलालेख के अनुसार इसका निर्माण चौहान शासक वासुदेव ने करवाया। यह भारत में खारे पानी की आन्तरिक सबसे बड़ी झील है। इसमें खारी, खण्डेला, मेन्था, रूपनगढ नदियां आकर गिरती है। यह देश का नमक बनाने का सबसे बड़ा आन्तरिक स्त्रोत है जहां मार्च से मई माह के मध्य तक नमक बनाने का कार्य होता है। यहां पर नमक दो विधियों – रेस्ता और क्यार से तैयार होता है। यहां नमक केन्द्र सरकार के उपक्रम “हिन्दुस्तान साॅल्ट लिमिटेड” की सहायक कम्पनी ‘सांभर साल्ट लिमिटेड’ द्वारा तैयार किया जाता है। भारत के कुल नमक का 8.7 प्रतिशत यहां से उत्पादन होता है। इसमें स्पाईरूलीना नामक शैवाल पाया जाता है जिसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। यहां पर साल्ट म्यूजियम (रामसर साईट पर्यटन स्थल) बनाया गया है। दादू दयाल (राजस्थान का कबीर) ने प्रथम उपदेश सांभर झील के किनारे दिये। इसके किनारे शाकम्भरी माता का मंदिर बना हुआ है। जिसे तीर्थों कि नानी और देवयानी माता भी कहते हैं। अकबर और जोधा का विवाह भी यहाँ हुआ। यहाँ कुरजां और राजहंस पक्षी आते है।
  • पंचभद्रा: बाड़मेर के बालोत्तरा के पास इस झील का निर्माण पंचा भील द्वारा कराया गया। यहां से प्राप्त नमक उच्च कोटि का है जोकि समुद्री झील के नमक से मिलता जुलता है जिसमें 98 प्रतिशत मात्रा में सोडियम क्लोराइड है। इस झील से प्राचीन समय से ही खारवाल जाति के 400 परिवार मोरली वृक्ष की टहनियों (वायु रेस्ता विधि) से नमक के (क्रिस्टल) स्फटिक तैयार करते हैं।
  • डीडवाना झील: नागौर जिले में लगभग 4 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैली इस झील में सोडियम क्लोराइड की बजाय सोडियम स्लफेट प्राप्त होता है। यहां से प्राप्त नमक खाने योग्य नहीं है इसलिए यहां का नमक विभिन्न रासायनिक क्रियाओं में प्रयुक्त होता है। कुओं द्वारा नमक का उत्पादन कोसिया पद्धति द्वारा होता है। इसका दूसरा नाम खल्दा झील भी है। यहां सरकी माता या पाढा माता का मंदिर है। इस झील के समीप ही राज्य सरकार द्वारा “राजस्थान स्टेट केमिकलवक्र्स” के नाम से दो इकाईयां लगाई हैं। थोड़ी मात्रा में यहां पर नमक बनाने का कार्य निजी इकाइयों द्वारा भी किया जाता है जिन्हें ‘देवल’ कहते हैं।
  • लूणकरणसर: बीकानेर जिले में स्थित यह झील अत्यन्त छोटी है। परिणामस्वरूप यहां से बहुत थोडी मात्रा में नमक स्थानीय लोगो की ही आपूर्ति कर पाता है। उत्तरी राजस्थान की एकमात्र खारे पानी की झील है। लूणकरणसर मूंगफली के लिए प्रसिद्ध होने के राजस्थान का राजकोट कहलाता है।
  • नावां झील: नागौर में स्थित इस झील पर आदर्श लवण पार्क की स्थापना की गई।
विश्व की प्रमुख झीलों की सूची
झील का नाम देश क्षेत्रफल अधिकतम गहराई
कैस्पियन सागर पूर्व सोवियत संघ तथा ईरान 371000 km² 980 मीटर
सुपीरियर झील कनाडा तथा संयुक्त राज्य अमेरिका 82414 km² 406 मीटर
विक्टोरिया झील युगांडा, तंजानिया, केन्या (अफ्रीका) 69485 km² 80 मीटर
ह्युरन झील कनाडा तथा संयुक्त राज्य अमेरिका 58596 km² 228 मीटर
मिसिगन झील संयुक्त राज्य अमेरिका 58016 km² 281 मीटर
टांगानिका झील कांगो, तंजानिया, जाम्बिया, बुरुंडी (अफ्रीका) 32892 km² 1435 मीटर
बैकाल झील साइबेरिया, रूस 31502 km² 1940 मीटर
ग्रेट बेयर झील कनाडा 31080 km² 82 मीटर
अराल सागर रूस 30700 km² 678 मीटर
ग्रेट स्लेब झील कनाडा 28438 km² 163 मीटर
इरी झील कनाडा तथा संयुक्त राज्य अमेरिका 25700 km² 64 मीटर
भारत की प्रमुख झीलों की सूची
झील का नाम स्थान
कोलेरु झील एलुरु, आंध्र प्रदेश
लकनावरम झील (लक्ष्मण के नाम पर प्रसिद्ध) वारंगल, आंध्र प्रदेश
रामप्पा झील (राम के नाम पर प्रसिद्ध) वारंगल, आंध्र प्रदेश
हुसैन सागर (झील के पास लुंबिनी पार्क में 350 टन वजनी, 17.5 मीटर ऊंची बुद्ध की प्रतिमा) बेगमपेट, हैदराबाद, आंध्र प्रदेश/तेलंगाना
पोत्थीरेड्डीपाडु अथवा वेलूगोडू झील गालेरु नदी, कुरनूल, आंध्र प्रदेश
कनीथी झील विशाखापट्टनम, आंध्र प्रदेश
संगेस्तर झील या संगेस्तर त्सो या माधुरी झील त्वांग, अरुणाचल प्रदेश
गंगा झील अथवा गेकर सिन्यिंग इटानगर, अरुणाचल प्रदेश
हफलोंग झील हफलोंग, असम
चंडूबी झील कामरूप, असम
डिघाली पुखुरी झील (कृत्रिम) गुवाहाटी, असम
सिबसागर झील या बोरपुखुरी (257 एकड़) शिवसागर, असम
तामरांग झील बिष्णुपुर, बोइतमारी सर्किल, बोंगाईगाँव, असम
डिगबोई झील डिगबोई, असम
दीपोर बील (पक्षी अभ्यारण्य) कामरूप, असम
सोन बील करीमगंज, असम
दिहिंग झील गुवाहाटी, असम
सिमरी-बख्तियारपुर झील सहरसा, बिहार
घोघा झील मनिहारी, कटिहार, बिहार
कुशेश्वर झील कुशेश्वर,दरभंगा, बिहार
काँवर झील मंझौल, बेगूसराय, बिहार
सुखना झील चंडीगढ़
दलपत सागर (छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी कृत्रिम झील) इंद्रावती नदी, जगदलपुर, छत्तीसगढ़
गंगा-मुंडा झील इंद्रावती नदी, जगदलपुर, छत्तीसगढ़
इंद्रा सरोवर राजनांदगांव, छत्तीसगढ़
महाराजबंध झील रायपुर, छत्तीसगढ़
तेलीबंधा तलाब रायपुर, छत्तीसगढ़
विवेकानंद सरोवर और बूढा तलाब बुढापारा, रायपुर, छत्तीसगढ़
संजय झील त्रिलोकपुरी, दिल्ली
नजफगढ झील साहिबी नदी, ढांसा गांव, दिल्ली
भलस्वा झील भलस्वा, दिल्ली
हौज-ए-शम्शी (गुलाम वंश के अल्तमश द्वारा 1230 में निर्मित) महरौली, दिल्ली
नैनी झील मॉडल टाउन, दिल्ली
मायम झील, नेत्रावली बबलिंग झील, अरम्बोल लेक, एम्बुलोर झील, कर्टोरिम झील, सरज़ोरा झील, बातिम झील, बोंदवा झील, माला झील, रायतोलम झील, वड्डेम झील गोवा
कैराम्बोलिम अथवा करमाली (गोवा की सबसे बड़ी और सबसे प्रसिद्ध झील) पणजी, गोवा की सबसे बड़ी और सबसे प्रसिद्ध झीलों
हमीरसर झील भुज, गुजरात
कांकरिया (अहमदाबाद की दूसरी सबसे बडी झील) मनीनगर, अहमदाबाद, गुजरात
नल सरोवर (बर्ड सेंचुरी) अहमदाबाद, गुजरात
नारायण सरोवर कोरी क्रीक, लखपत, कच्छ, गुजरात
सरदार सरोवर नवगाम, नर्मदा जिला, गुजरात
थोल झील (बर्ड सेंचुरी) मेहसाना, गुजरात
वस्त्रापुर झील अहमदाबाद, गुजरात
लखोटा झील जामनगर, गुजरात
सूरसागर अथवा चांद तलाव वडोदरा, गुजरात
सुदर्शन झील गिरनार, गुजरात
खलीलपुर झील पटौदी, गुरुग्राम, हरियाणा
भीमकुंड अथवा पीचोखड़ा झील भीम नगर, गुरुग्राम, हरियाणा
घाटा झील सेक्टर-58, गुरुग्राम, हरियाणा
बसई आद्र भूमि गुरुग्राम, हरियाणा
दमदमा झील सोहना, गुरुग्राम, हरियाणा
गंधक-युक्त गरम पानी के सोते सोहना, गुरुग्राम, हरियाणा
सुल्तानपुर झील सुल्तानपुर, गुरुग्राम, हरियाणा
धौज झील फरीदाबाद, हरियाणा
बड़खल झील बड़खल, फरीदाबाद, हरियाणा
मयूर झील बड़खल, फरीदाबाद, हरियाणा
अनंगपुर झील अनंगपुर, फरीदाबाद, हरियाणा
सूरजकुंड अनंगपुर, फरीदाबाद, हरियाणा
कोटला झील नूहं, हरियाणा
चंदेली झील नूहं, हरियाणा
कर्ण झील करनाल, हरियाणा
सन्निहित सरोवर थानेसर, कुरुक्षेत्र, हरियाणा
ब्रह्म सरोवर थानेसर, कुरुक्षेत्र, हरियाणा
ज्योतिसर थानेसर, कुरुक्षेत्र, हरियाणा
तिल्यार झील रोहतक, हरियाणा
डबचिक झील होडल, पलवल, हरियाणा
टिक्कर ताल मोरनी हिल्स, पंचकूला, हरियाणा
ब्लू बर्ड हिसार, हरियाणा
चिल्ली झील फतेहाबाद, हरियाणा
हथनीकुंड यमुनानगर, हरियाणा
भिंडावास झील भिंडावास, झज्जर, हरियाणा
मणिमहेश झील भरमौर, चंबा, हिमाचल प्रदेश
खजियार डलहौजी, चंबा, हिमाचल प्रदेश
लम डल भरमौर, चंबा, हिमाचल प्रदेश
खुण्डी मराल झील चुराह, चंबा, हिमाचल प्रदेश
गुडासरू महादेव झील चुराह, चंबा, हिमाचल प्रदेश
चन्द्रताल लाहौल-स्पीति, हिमाचल प्रदेश
सूरजताल लाहौल-स्पीति, हिमाचल प्रदेश
नीलकंठ झील लाहौल-स्पीति, हिमाचल प्रदेश
चन्द्रनाहन झील रोहडू, शिमला, हिमाचल प्रदेश
रिवालसर झील मण्डी, हिमाचल प्रदेश
पराशर झील मण्डी, हिमाचल प्रदेश
कमरूनाग मण्डी, हिमाचल प्रदेश
सुखसर झील मण्डी, हिमाचल प्रदेश
डल झील कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश
करेरी झील कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश
भृगु झील कुल्लू, हिमाचल प्रदेश
दशहरे झील कुल्लू, हिमाचल प्रदेश
नैनसर झील कुल्लू, हिमाचल प्रदेश
मानतलाई झील कुल्लू, हिमाचल प्रदेश
सेरोलसर झील बंजार, कुल्लू, हिमाचल प्रदेश
पण्डोह झील सलापड़, पण्डोह, हिमाचल प्रदेश
नाको झील किन्नौर, हिमाचल प्रदेश
रेणुका जी झील सिरमौर, हिमाचल प्रदेश
चमेरा झील चम्बा, हिमाचल प्रदेश
पौंग झील कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश
गोविन्द सागर बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश
मैहलनाग डल चुराह, चम्बा, हिमाचल प्रदेश
बैसाखी चामुण्डा डल एंथली जीत, चुराह, चम्बा, हिमाचल प्रदेश
कालीका डल नोसराधार, चुराह, चम्बा, हिमाचल प्रदेश
ढंकर डल स्पीति, हिमाचल प्रदेश
तानु जुब्बार झील नारकंडा, शिमला जिला, हिमाचल प्रदेश
अक्साई चिन झील लद्दाख़, जम्मू व कश्मीर
आंचार झील श्रीनगर के पास, जम्मू-कश्मीर
कृशनसर या कृष्णसर सोनमर्ग, गान्दरबल, जम्मू-कश्मीर
कौसरनाग या विष्णुपाद पीर-पंजाल पर्वतश्रेणी, कुलगाम, जम्मू-कश्मीर
गंगाबल झील हरमुख पर्वत, गान्दरबल, जम्मू-कश्मीर
गाडसर या येमसर सोनमर्ग, गान्दरबल, जम्मू-कश्मीर
डल झील श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर
त्सो कार लद्दाख़, जम्मू व कश्मीर
त्सो पांगोंग लद्दाख़, जम्मू व कश्मीर
मानसबल झील श्रीनगर से उत्तर, जम्मू व कश्मीर
मानसर सरोवर जम्मू से 62 कि.मी, जम्मू व कश्मीर
विशनसर सोनमर्ग, गान्दरबल, जम्मू-कश्मीर
वुलर झील बांडीपोरा, जम्मू-कश्मीर
त्सो मोरिरी चांगथंग पठार, लद्दाख़, जम्मू व कश्मीर
डिमना झील जमशेदपुर, झारखंड
तोपचांची झील धनबाद, झारखंड
हज़ारीबाग़ झील हज़ारीबाग़, झारखंड
उल्सूर अथवा हलासुरू झील बैंगलोर, कर्नाटक
पम्पा सरोवर हम्पी, कोप्पल जिला, कर्नाटक
बेलंदूर झील बेलंदूर, बेंगलुरु, कर्नाटक
कर्णजी झील (भारत में सबसे बड़ी ‘वॉक-थ्रू एविएरी’) मैसूर, कर्नाटक
अगारा झील दक्षिण तालुक, बैंगलोर जिला, कर्नाटक
पुट्टनहल्ली झील जेपी नगर, दक्षिण बैंगलोर, कर्नाटक
सरककी अथवा जरगानहल्ली झील जेपी नगर, बैंगलोर, कर्नाटक
हेब्बल झील बेल्लारी-ओज रिंग रोड जंक्शन, बैंगलोर के उत्तर में, कर्नाटक
लिंगाम्बुधि झील मैसूर, कर्नाटक
शांति सागर अथवा सुलेकरे झील (एशिया की पहली सबसे बड़ी झील) सुलेकरे, चन्नागिरी तालुक, दावणगेरे, कर्नाटक
हेसरघट्टा झील बेंगलुरु, अर्कावथी नदी के पार, कर्नाटक
पुट्टनहल्ली झील येलहंका, बैंगलोर, कर्नाटक
अष्टमुदी अथवा एशतमुदी झील कोल्लम, केरल
बेम्बानाड झील अल्लपुझा, केरल
वेल्लायानी झील (तिरुवनंतपुरम की सबसे बडी मीठे पानी की झील) तिरुवनंतपुरम, केरल
सस्ठामकोट्टा (केरल की सबसे बडी मीठे पानी की झील) कोल्लम, केरल
परव्वूर झील कोल्लम, केरल
पुन्नामदा झील अल्लेपी, केरल
वीरनपुझा झील कोच्ची, केरल
पुकोटे अथवा पुकोड झील कल्पेटा, वायनाड, केरल
कक्की पथनमथिट्टा, केरल
मननचिरा (कृत्रिम मीठे पानी की झील) पथनमथिट्टा, केरल
वांचिकुलम थ्रिसूर, केरल
भोजताल अथवा अपर लेक भोपाल, मध्य प्रदेश
हलाली जलाशय हलाली नदी, भोपाल, मध्य प्रदेश
लोवर लेक भोपाल, मध्य प्रदेश
तवा जलाशय तवा बांध, होशंगाबाद, मध्य प्रदेश
शाहपुरा झील (कृत्रिम) भोपाल, मध्य प्रदेश
मोती झील भोपाल, मध्य प्रदेश
शारंग पानी भोपाल, मध्य प्रदेश
लोनार झील (खारा पानी) बुलढ़ाणा, महाराष्ट्र
पावना झील पावना बांध, पुणे, महाराष्ट्र
वेन्ना झील महाबलेश्वर, महाराष्ट्र
शिवसागर झील कोयना बांध, सतारा, महाराष्ट्र
पवई झील पवई, महाराष्ट्र
पाषाण झील पुणे, महाराष्ट्र
उपवन झील येउर हिल्सल, ठाणे, महाराष्ट्र
रनकला झील कोल्हापुर, महाराष्ट्र
पुमलेन / खोऐदम / लमजाव पट (मणिपुर की दूसरी सबसे बडी प्राकृतिक झील 80.22 km²) थौबल, मणिपुर
इकोप / खारूंग पट (मणिपुर की तीसरी सबसे बडी प्राकृतिक झील 47.63 km²) थौबल, मणिपुर
लौऊसी पट थौबल, मणिपुर
वायथौ / पुन्नेम पट थौबल, मणिपुर
औंगबीखौंग पट थौबल, मणिपुर
ऊशौइपोक्पी पट थौबल, मणिपुर
साना पट बिष्णुपुर, मणिपुर
ऊत्रा पट बिष्णुपुर, मणिपुर
लोकटक (मणिपुर की सबसे बडी प्राकृतिक झील 246.72 km²) बिष्णुपुर-पश्चिम इंफाल, मणिपुर
तन्खा पट पश्चिम इंफाल, मणिपुर
कारम पट पश्चिम इंफाल, मणिपुर
लंफेल पट पश्चिम इंफाल, मणिपुर
जिलाद पट तामेंगलौंग, मणिपुर
जायमेंग झील सेनापति, मणिपुर
यरल पट पूर्व इंफाल, मणिपुर
हैंगांग पट पूर्व इंफाल, मणिपुर
खयांग काचोफुंग पट ऊखरूल, मणिपुर
लम्पेल शौई पट, ऐंद्रो पूर्व इंफाल, मणिपुर
सान्ना पट, ऐंद्रो पूर्व इंफाल, मणिपुर
वार्ड झील शिलांग, मेघालय
थङलेसकीन मुखला, जोवई, मेघालय
उमहांग झील बताऔ, जयंतिया, मेघालय
उमियाम झील अथवा बडापानी (मेघालय की सबसे बडी एवम् कृत्रिम झील 220 km²) शिलांग, मेघालय
मरगर झील रि-भोई जिला, मेघालय
चिबुल अथवा दोबुल झील दमालग्रे, पश्चिम गारो पहाडियां, मेघालय
दाची लेक औंग्रे, जैंग्जल, मेघालय
मावफानलुर झील की-पुंग मावथाडरैसन, मेघालय
म्हालसे झील अपर शिलांग, मेघालय
तमदिल सैतुल, ऐजल, मेघालय
पलक झील पाहू, लखेर, छिमतुईपुई, मेघालय
रुंगदिल स्वांगपुलौन, ऐजल, मेघालय
रेंगदिल जमुआंग, ऐजल, मेघालय
शिलोई झील कोहिमा, नागालैंड
जुडू झील फेक, नागालैंड
बालीमेला झील (184.5 km²) मलकनगिरी, ओडिशा
चिल्का अथवा चिलिका झील ओडिशा
अंशुपा झील (ओडिशा की सबसे बड़ी ताजे पानी की झील) कटक, ओडिशा
कंजिया झील भुवनेश्वर, ओडिशा
इंद्रावती जलाशय इंद्रावती नदी, खटीगुडा, ओडिशा
कोलाब झील जेपोर, कोरापुट, ओडिशा
रेंगाली झील ब्राह्मणी नदी, आंगुल, ओडिशा
सरोदा जलाशय सरोदा, कवर्धा, ओडिशा
हरि-के-पत्तन तरनतारन/फिरोजपुर, पंजाब
रोपड झील रूपनगर, पंजाब
कंजली झील कपूरथला, पंजाब
नावां झील नागौर, राजस्थान
लूणकरणसर बीकानेर, राजस्थान
डीडवाना झील नागौर, राजस्थान
पंचभद्रा बालोत्तरा, बाड़मेर, राजस्थान
साॅंभर झील फुलेरा, जयपुर, राजस्थान
साॅंभर झील फुलेरा, जयपुर, राजस्थान
रामगढ क्रेटर मांगरोल, बाराँ, राजस्थान
रेवासा झील सीकर, राजस्थान
मोती झील भरतपुर, राजस्थान
कायलाना झील जोधपुर, राजस्थान
बाप झील जोधपुर, राजस्थान
सरदारसमंद झील जोधपुर, राजस्थान
नदसमंद अथवा राजसमंद झील राजसमंद, राजस्थान
एडवर्ड सागर अथवा गैब सागर डुंगरपुर, राजस्थान
गजनेर झील बीकानेर, राजस्थान
बालसमंद झील बालसमंद, राजस्थान
फायसागर झील अजमेर, राजस्थान
उदयसागर झील उदयपुर, राजस्थान
सीलीसेढ झील अलवर, राजस्थान
कोलायत झील बीकानेर, राजस्थान
पुष्कर झील अजमेर, राजस्थान
फतहसागर झील उदयपुर, राजस्थान
नक्की झील आबू पर्वत, सिरोही, राजस्थान
आनासागर झील अजमेर, राजस्थान
पिछोला झील उदयपुर, राजस्थान
राजसंमद झील राजसंमद, राजस्थान
जयसंमद अथवा ढेबर झील उदयपुर, राजस्थान
आनंद सागर झील बांसवाड़ा, राजस्थान
गड़ीसर झील जैसलमेर, राजस्थान
त्सोमगो अथवा छंगु झील (3753 मीटर) पूर्व सिक्किम
मैनमेच्छो झील (रांगपो-छू नदी का उद्गम) पूर्व सिक्किम
खाचोत्पलरी झील (1700 मीटर) पश्चिम सिक्किम
खातोक त्सो युक्सोम, पश्चिम सिक्किम
ग्रीन लेक उत्तर सिक्किम
स्मीति लेक औंगलाकथांग, पश्चिम सिक्किम
ल्हामो त्सो (तीस्ता नदी का उद्गम, 5098 मीटर) उत्तर सिक्किम
लक्ष्मी पोखरी (4200 मीटर) जोंगरी, पश्चिम सिक्किम
गुरुडोंगमार झील (तीस्ता नदी का उद्गम, 5183 मीटर) उत्तर सिक्किम
चेम्बरामबक्क्म झील कांचीपुरम, तमिलनाडु
कलिवेली झील विलुपुरम, तमिलनाडु
कोवलई झील कांचीपुरम, तमिलनाडु
पुलिकट झील पुलिकट, तमिलनाडु
शोलावरम झील तिरुवल्लुर, तमिलनाडु
वीरानम झील नेय्वेली, कुड्डालोर, तमिलनाडु
पुझहल अथवा रेड हिल्स झील चेन्नई, तिरुवल्लुर, तमिलनाडु
अंबत्तुर झील अंबत्तुर, चेन्नई, तमिलनाडु
सिंगनल्लुर झील सिंगनल्लुर, कोयम्बटूर, तमिलनाडु
वलनकुलम झील कोयम्बटूर, तमिलनाडु
श्रीराम सागर (451 km²) निजामाबाद, तेलंगाना
पक्कल झील (30 km²) वारंगल, तेलंगाना
निजाम सागर मंजीरा नदी, कामारेडी, तेलंगाना
नागार्जुन सागर गुंटूर/आंध्र प्रदेश एवं नालगोंडा/तेलंगाना
बिजोय सागर अथवा महादेब दिघी उदयपुर, गोमती जिला, त्रिपुरा
कल्याण सागर उदयपुर, गोमती जिला, त्रिपुरा
जगन्नाथ दिघी अथवा पुराण दिघी उदयपुर, गोमती जिला, त्रिपुरा
कमला सागर झील अगरतला, त्रिपुरा
रुद्रसागर अथवा रूदीजाला मेलाघर, सिपाहीजाला, त्रिपुरा
दुम्बूर झील जतनबाडी, गोमती जिला, त्रिपुरा
अमरसागर गोमती जिला, त्रिपुरा
खौवरा ऊनाकोटी जिला, त्रिपुरा
रामगढ़ताल व चिलुवाताल गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
बखिरा झील संत कबीर नगर, उत्तर प्रदेश
करेला व इंटौजा झील लखनऊ, उत्तर प्रदेश
नवाबगंज झील, कुंद्रा समुन्द्र उन्नाव, उत्तर प्रदेश
बड़ाताल (गौखुर झील) शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश
पयाग झील बहराइच, उत्तर प्रदेश
पार्वती व अरगा ताल गोंडा, उत्तर प्रदेश
जिर्गो व सिरसी जलासय, टांडा डरती ताल (दरारगर्त) मिर्ज़ापुर, उत्तर प्रदेश
भुगेताल व विसैथाताल रायबरेली, उत्तर प्रदेश
लिलौर झील बरेली, उत्तर प्रदेश
ठिठोरा झील, मोराय ताल फतेहपुर, उत्तर प्रदेश
बेती, अजगरा व नइया झील प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश
सुरहा ताल बलिया, उत्तर प्रदेश
मोती और गौर झील रामपुर, उत्तर प्रदेश
शुक्रताल मुज़फ्फरनगर, उत्तर प्रदेश
रामताल मेरठ, उत्तर प्रदेश
कीठम ताल आगरा, उत्तर प्रदेश
शेख झील (राष्ट्रीय पक्षी विहार के रूप में विकासाधीन) अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
गोविन्द बल्लभ पंत सागर सोनभद्र, उत्तर प्रदेश
अलवारा झील (विदेशी पक्षियों का आश्रय स्थल) कौशाम्बी, उत्तर प्रदेश
औंधी ताल वाराणसी, उत्तर प्रदेश
राजा का बांध, लौंधी व भोजपुर ताल सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश
दरवन झील फैज़ाबाद, उत्तर प्रदेश
बल हापारा कानपुर, उत्तर प्रदेश
लक्ष्मीताल, बरुआसागर व भसनेह जलाशय झाँसी, उत्तर प्रदेश
सागर ताल बदायुँ, उत्तर प्रदेश
मदन सागर महोबा, उत्तर प्रदेश
पंगैली फुल्हर या गोमती ताल पीलीभीत, उत्तर प्रदेश
दहर झील, भिजवान झील (साईं नदी का उद्गम स्थल) हरदोई, उत्तर प्रदेश
देवरिया ताल कन्नौज, उत्तर प्रदेश
भीखा झील इटावा, उत्तर प्रदेश
सीता कुण्ड (मिश्रिख), चक्र कुण्ड (नैमिष) सीतापुर, उत्तर प्रदेश
सीताकुण्ड, भरतकुण्ड अयोध्या, उत्तर प्रदेश
कुसुम सरोवर, राधाकुण्ड, श्यामकुण्ड, गोविन्द कुण्ड, मानसी गंगा कुण्ड गोवर्धन, मथुरा, उत्तर प्रदेश
कोकिला कुण्ड, कृष्णा कुण्ड कोकिला वन, मथुरा, उत्तर प्रदेश
नौह झील मथुरा, उत्तर प्रदेश
नैनीताल या नैनी झील नैनीताल, उत्तराखण्ड कुमाऊँ
भीमताल झील भीमताल, नैनीताल, उत्तराखण्ड कुमाऊँ
नौकुचियाताल नैनीताल, उत्तराखण्ड कुमाऊँ
सातताल, खुरपाताल, सूखाताल, मलवाताल नैनीताल, उत्तराखण्ड कुमाऊँ
गिरिताल काशीपुर, उधमसिंह नगर, उत्तराखण्ड कुमाऊँ
द्रोणताल काशीपुर, उधमसिंह नगर, उत्तराखण्ड कुमाऊँ
श्यामताल चंपावत, उत्तराखण्ड कुमाऊँ
झिलमिलताल चंपावत, उत्तराखण्ड कुमाऊँ
तडागताल अल्मोड़ा, उत्तराखण्ड कुमाऊँ
सुकुण्डाताल बागेश्वर, उत्तराखण्ड कुमाऊँ
काकभुसंडी ताल चमोली, उत्तराखण्ड गढ़वाल
सहस्त्रताल थाती, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखण्ड गढ़वाल
यमताल सहस्त्र ताल के समीप
महासर ताल सहस्त्र ताल के समीप
बासुकी ताल टिहरी गढ़वाल, उत्तराखण्ड गढ़वाल
मंसूरताल टिहरी, खतलिंग हिमनद के पास, उत्तराखण्ड गढ़वाल
अप्सरा ताल टिहरी बूढ़ा केदार के पास, उत्तराखण्ड गढ़वाल
भिलंगना ताल टिहरी गढ़वाल, उत्तराखण्ड गढ़वाल
दुग्ध ताल पौढी गढ़वाल, उत्तराखण्ड गढ़वाल
तारा कुंड दूधातोली, उत्तराखण्ड गढ़वाल
रूपकुंड चमोली, उत्तराखण्ड गढ़वाल
हेमकुंड ‘लोकपाल’ चमोली, उत्तराखण्ड गढ़वाल
संतोपंथ ताल चमोली, उत्तराखण्ड गढ़वाल
विरही ताल चमोली, उत्तराखण्ड गढ़वाल
बेनीताल चमोली, उत्तराखण्ड गढ़वाल
विष्णु ताल चमोली, उत्तराखण्ड गढ़वाल
सुखताल चमोली, उत्तराखण्ड गढ़वाल
गोहना ताल गोपेश्वर, उत्तराखण्ड गढ़वाल
नचिकेता ताल उत्तरकाशी, उत्तराखण्ड गढ़वाल
डोडीताल उत्तरकाशी, उत्तराखण्ड गढ़वाल
देवरिया ताल रूद्रप्रयाग, उत्तराखण्ड गढ़वाल
फाचकंडी बयां उत्तरकाशी (उबलता जल), उत्तराखण्ड गढ़वाल
दिव्य सरोवर हरिद्वार, उत्तराखण्ड
सेंशल अथवा सेंचल झील (2487 मीटर) दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल
सुमेंदू अथवा मिरिक झील मिरिक, दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल
मोती झील अथवा कंपनी बाग (गोखुर झील) मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल
सागर दीघी कूच बिहार, पश्चिम बंगाल
रसिक बील कूच बिहार, पश्चिम बंगाल
रवीन्द्र सरोवर दक्षिण कोलकाता, पश्चिम बंगाल
चारु बाबुर झील बेहला, कोलकाता, पश्चिम बंगाल
सुभाष सरोवर फूल बागान, बेलेघाटा, कोलकाता, पश्चिम बंगाल
एसएससी, यूपीएससी, बैंक, रेलवे प्रतियोगी परीक्षाओं के लिऐ भारत एवं विश्व की झीलों का सामान्य अध्ययन

केन्द्र और राज्य सरकारों की विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिऐ भारत एवं विश्व की प्रमुख झीलों का सर्वश्रेष्ठ सामान्य अध्ययन सकंलन। सबसे बड़ी झील, सबसे गहरी लेक, सबसे लंबी झील, सबसे स्वच्छ जलाशय और सबसे प्रदूषित झीलों का विवरण। भारत और दुनिया की मुख्य झीलों की सूची। एसएससी, यूपीएससी, बैंक, रेलवे, क्लर्क आदि विभिन्न परीक्षाओं के लिऐ भारत एवं विश्व की झीलों का सर्वश्रेष्ठ सामान्य ज्ञान सकंलन।

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